संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते।।
अर्थात- हम सब एक साथ चलें; एक साथ बोलें; हमारे मन एक हों। प्राचीन समय में देवताओं का ऐसा आचरण रहा इसी कारण वे वंदनीय हैं।
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावधीतमस्तु। मा विद्विषावहै।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।
अर्थ :
हे परमात्मन् ! आप हम दोनों गुरू और शिष्य की साथ- साथ रक्षा करें , हम दोनों का पालन-पोषण करें, हम दोनों साथ-साथ शक्ति प्राप्त करें,हमारी प्राप्त की हुई विद्या तेजप्रद हो, हम परस्पर द्वेष न करें, परस्पर स्नेह करें।
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