Saturday, May 9, 2020

रंगों सँग गौरैया


सोचता हूँ फूलों में
रंग कहाँ से आते हैं,
खुशब भी नजाकत भी
फूल कहाँ से लाते हैं,
शायद किरणों के तेज से  
खिलते हैं मुरझाते है,
देख सतरंगी आभा को
झूमते हैं इठलाते हैं,
दिल मंजरी का  निराला है
मन से साथ निभाते है,
प्रेम खुशी से गले लगाकर
प्रणय रंग बरसाते हैं,
दुनिया से जाने वालों के सँग
कसक से साथ निभाते हैं,
लिए  खामोशी झूम झूमकर
आमोद बांटते फिरते है,
हँसती और गाती इस दुनिया मे
उल्लास से रंग बिखरता है,
भीनी भीनी फूलों की खुशबू 
जीवन को महकाती हैं,
छोटी सी नन्ही सोहनी चिरैया
जब से मेरे घर आई है,
देकऱ संदेश आमोद का सबको
मंद  मंद मुस्काती  है,

Justice श्री गोपाल कृष्ण व्यास 'तनुज'

No comments:

Post a Comment

हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा

हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...