Saturday, December 25, 2010

ज़माना ख़ुदा को खु़दा जानता है 'यगाना चंगेज़ी'

ज़माना खु़दा को ख़ुदा जानता है।
यही जानता है तो क्या जानता है॥

वो क्यों सर खपाए तेरी जुस्तजू में।
जो अंजामे-फ़िक्रेरसा जानता है॥

ख़ुदा ऐसे बंदों से क्यों फिर न जाए।
जो बैठा हुआ माँगना जानता है॥

वो क्यों फूल तोड़े वो क्यों फूल सूँघे?
जो दिल का दुखाना बुरा जानता है॥

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