अतल गहराई तक
तुम्ही में डूब कर मिला हुआ अकेलापन,
अँजुरी भर-भर कर
तुम्हें पाने के असहनीय सुख को सह जाने की थकान,
और शाम गहराती हुई
छाती हुई तन मन पर
कन-कन तुम्हें जी कर
पी कर बूँद-बूँद तुम्हें-गाढ़ी एक तृप्ति की उदासी.....
और तीसरे पहर की तिरछी धूप का सिंकाव
और गहरी तन्मयता का अकारण उचटाव
और अपने ही कन्धे पर टिके इस चेहरे का
रह-रह याद आना
और यह न याद आना
कि चेहरा यह किसका है !
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
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हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
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ab saup diya is jeevan ka sab bhar tumhare haatho me sab bhar tumhare haatho me hai jeet tumhare haatho me aur har tumhare haatho me aur haa...
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साँस चलती है तुझेचलना पड़ेगा ही मुसाफिर! चल रहा है तारकों कादल गगन में गीत गाताचल रहा आकाश भी हैशून्य में भ्रमता-भ्रमाता पाँव के नीचे पड़ीअचल...
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