Tuesday, February 24, 2009

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है 'निदा फ़ाज़ली'

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है

जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है
अब तक जो होता आया है वो ही होना है

रात अँधेरी भोर सुहानी यही ज़माना है
हर चादर में दुख का ताना सुख का बाना है
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है

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