Saturday, May 24, 2008

यह मेरे जीवन का जल "ठाकुरप्रसाद सिंह"


यह मेरे जीवन का जल
कमल-पात पर हिम-बूंदों-सा टलमल रे
कितना चंचल

इसीलिए तो
खाता चल
पीता चल
गाता चल
चल रे चल
थोड़े ही दिन का यह छल
यह मेरे जीवन का जल

ताराओं के हास से
चन्दरिमा के पास से
आया है आकाश से
पा सकें तो पा सकें
जा रहा है हाथ से
हो रहा देखो ओझल

यह मेरे जीवन का जल

No comments:

Post a Comment

हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा

हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...