Friday, May 23, 2008

दिल में गुलशन ... राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'

दिल में गुलशन आंख में सपना सुहाना रख।
आस्मां की डालियों पर आशियाना रख।।

हर कदम पर एक मुश्किल ज़िंदगी का नाम।
फिर से मिलने का मगर कोई बहाना रख।।

अर्थ में भर अर्थ की अभिव्यंजना का अर्थ।
शक की सीमा के आगे भी निशाना रख।।

कफ़स का ये द्वार टूटेगा नहीं सच है, मगर।
हौसला रख अपना ये पर फड़फ़ड़ाना रख।।

तेरे जाने के पर जिसे दुहराएगी महफ़िल।
वक्त की आंखों में एक ऐसा फसाना रख।।

दर्द की दौलत से यायावर हुआ है तू।
पांव की ठोकर के आगे ये ज़माना रख।।

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