Wednesday, July 1, 2009

तेरा ही तो हिस्सा हूँ 'विज्ञान व्रत'

तेरा ही तो हिस्सा हूँ
ये तू जाने कितना हूँ

अपने हाथों हारा हूँ
वरना किसके बस का हूँ

ख़ुद को ही खो बैठा हूँ
मैं अब क्या खो सकता हूँ

जब से अपने जैसा हूँ
सब कहते हैं, धोखा हूँ

आमादा हूँ जीने पर
और अभी तक ज़िंदा हूँ!

1 comment:

  1. अपने हाथों हारा हूँ
    वरना किसके बस का हूँ

    जवाब नहीं...

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