सैकड़ों, हजारों, लाखों आते–जाते हैं
उनके आने–जाने से पड़ता फर्क नहीं,
वे बना सकें इस दुनिया को यदि स्वर्ग नहीं
इतना तो हो, वे इसे बनाएँ नर्क नहीं।
यदि किसी एक के भी हम आँसू पोंछ सके
यदि किसी एक भूखे को रोटी जुटा सके,
सौभाग्य हमारा, यदि ऐसा कुछ कर पाए
अपनेपन का धन यदि हम सब में लुटा सकें।
हर एक व्यक्ति यह सोचे और विचारे यह
क्यों जन्म लिया, दुनिया में मैं क्यों आया हूँ,
उल्लेखनीय क्या मैंने कोई काम किया
जीवित रहकर दुनिया को क्या दे पाया हूँ।
हम जाएँ, तो हमको यह पश्चात्ताप न हो
कुछ कर न सके, हम नहीं हाथ मलते जाएँ,
हम जाएँ तो सन्तोष रहे कुछ करने का
जाते–जाते भी जग को हम फलते जाएँ।
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
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हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
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इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप से...
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