अच्छा
खंडित सत्य
सुघर नीरन्ध्र मृषा से,
अच्छा
पीड़ित प्यार सहिष्णु
अकम्पित निर्ममता से।
अच्छी कुण्ठा रहित इकाई
साँचे-ढले समाज से,
अच्छा
अपना ठाठ फ़क़ीरी
मँगनी के सुख-साज से।
अच्छा
सार्थक मौन
व्यर्थ के श्रवण-मधुर भी छन्द से।
अच्छा
निर्धन दानी का उघडा उर्वर दुख
धनी सूम के बंझर धुआँ-घुटे आनन्द से।
अच्छे
अनुभव की भट्टी में तपे हुए कण-दो कण
अन्तर्दृष्टि के,
झूठे नुस्खे वाद, रूढि़, उपलब्धि परायी के प्रकाश से
रूप-शिव, रूप सत्य की सृष्टि के।
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
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हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
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ab saup diya is jeevan ka sab bhar tumhare haatho me sab bhar tumhare haatho me hai jeet tumhare haatho me aur har tumhare haatho me aur haa...
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साँस चलती है तुझेचलना पड़ेगा ही मुसाफिर! चल रहा है तारकों कादल गगन में गीत गाताचल रहा आकाश भी हैशून्य में भ्रमता-भ्रमाता पाँव के नीचे पड़ीअचल...
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