अपनी-अपनी गति से
लुढ़कती हैं चीज़ें
अपनी-अपनी दिशा में
एक गति सूर्य की है
एक गति पृथ्वी की
एक गति रॉकेट की है
एक
बैलगाड़ी की
जेट से गिरते
गोले की भी
अपनी एक गति है
और
टुकड़ों में
बिखरती जानों की
और ऎसा भी नहीं
कि अपनी गति में
चीज़ें
आगे को ही
बढ़ती हैं
यद्यपि भ्रम
सबको यही है
न यह ही सही है
कि गति में रहकर
चीज़ें बढ़ती ही हैं
यह भी भ्रम ही है
पतन की भी
अपनी एक गति है
और अपनी एक दिशा
और एक दिशा
संघर्ष की
और कई बार
जो बिल्कुल
गतिहीन लगता है
वही आगे बढ़ता है।
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
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और कई बार
ReplyDeleteजो बिल्कुल
गतिहीन लगता है
वही आगे बढ़ता है।
- कवि द्वारा बहुत गहरी बात कही गयी है.