दिल में जब दर्द जगा हो, तो लिखा जाता है,
घाव सीने पे लगा हो, तो लिखा जाता है
ख़ुशी के दौर में लब गुनगुना ही लेते हैं
ग़म-ए-फ़ुरकत में भी गाओ, तो लिखा जाता है
हाल-ए-दिल खोल के रखना, तो बहुत आसां है
हाल-ए-दिल दिल में छुपा हो, तो लिखा जाता है
अपनी खु़द्दारी पे हम, लाख करें नाज़ ऐ दोस्त
अपनी हस्ती को मिटाओ, तो लिखा जाता है
गैर अपनों को बनाना, भी कोई होगा हुनर
गैरों को अपनी बनाओ, तो लिखा जाता है
बनी तस्वीर जो टूटे, तो गम तो होता है
टूटी तस्वीर बनाओ, तो लिखा जाता है
यूं तो इक रोज फ़ना, सबने ही होना है यहां
जान का दांव लगाओ, तो लिखा जाता है
लोग फिरते हैं यहां, पहने ख़ुदाई जामा
ख़ुद को इन्सान बनाओ, तो लिखा जाता है
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर! युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल, रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल, मनुज-पराजय के स्मारक है मठ, मस्जिद, गिरजाघर! प्राथ...
-
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप से...
No comments:
Post a Comment