Monday, April 27, 2009

अनकही का जवाब है प्यारे 'नवनीत शर्मा'

अनकही का जवाब है प्यारे
ये जो अंदर अज़ाब है प्यारे
आस अब आस्माँ से रक्खी है
छत का मौसम ख़राब है प्यारे
अश्क, आहें ख़ुशी ठहाके भी
ज़िंदगी वो किताब है प्यारे
रोक लेते हैं याद के हिमनद
दिल हमारा चिनाब है प्यारे
प्यार अगर है तो उसकी हद पाना
सबसे मुश्किल हिसाब है प्यारे
कट चुकी हैं तमाम ज़ंजीरें
फिर भी ख़ाना ख़राब है प्यारे
कौन तेरा है किसका है तू भी
ऐसा कोई हिसाब है प्यारे!

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