कटी ज़िन्दगी पर लगाना ना आया
लगा ही लिया तो निभाना ना आया
खुदी की बुलंदी रहे नापते हम
कभी हस्ती अपनी मिटाना ना आया
गिरावट का देखा किए हम तमाशा
गो गिरते हुओं को उठाना ना आया
हसीं नक्श हर इक को मसला औ कुचला
अगर्चे कभी कुछ बनाना ना आया
रहे जिन्दगी भर यूं ही बस भटकते
कभी रस्ते सीधे पे जाना ना आया
गरज़ क़े लिए चाहे सब कुछ लुटा दें,
बिना गरज़ क़ुछ भी लुटाना ना आया
सही मान लें जिसको यह दुनियां वाले
समझ कोई ऐसा बहाना ना आया
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर! युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल, रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल, मनुज-पराजय के स्मारक है मठ, मस्जिद, गिरजाघर! प्राथ...
-
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप से...
No comments:
Post a Comment