Tuesday, February 17, 2009

मेरी भी आभा है इसमें 'नागार्जुन'

नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है
यह विशाल भूखंड आज जो दमक रहा है
मेरी भी आभा है इसमें
भीनी-भीनी खुशबूवाले
रंग-बिरंगे
यह जो इतने फूल खिले हैं
कल इनको मेरे प्राणों मे नहलाया था
कल इनको मेरे सपनों ने सहलाया था
पकी सुनहली फसलों से जो
अबकी यह खलिहाल भर गया
मेरी रग-रग के शोणित की बूंदें इसमें मुसकाती हैं
नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है
यह विशाल भूखंड आज जो चमक रहा है

No comments:

Post a Comment

हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा

हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...