Friday, February 6, 2009

वह क्या है 'राजकुमार कुंभज'

वह क्या है?
जिसकी मुंतज़िर हैं / आँखें मेरी
और / जिसने चुरा ली है
मेरी आँखों की नींद
वह क्या है?
जिसकी पदचाप है / स्मृति में
और / जिसने रोक दी है
मेरे मन की राह
वह क्या है?
जिसकी अफ़वाह है / शहर में
और / जिसने फैला दी है
मेरे मरने की ख़बर
वह क्या है?
जिसकी चाह है / मन में
और / जिसने काट दी है
मेरे कंठ की भाषा
वह क्या है?
जिसकी प्रतिध्वनि है / भीतर मेरे
और / जिसने छुपा दी है
मेरी दुनिया की कंदील

2 comments:

  1. बहुत ख़ूब, बहुत बढ़िया लिखा है।

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