वह क्या है?
जिसकी मुंतज़िर हैं / आँखें मेरी
और / जिसने चुरा ली है
मेरी आँखों की नींद
वह क्या है?
जिसकी पदचाप है / स्मृति में
और / जिसने रोक दी है
मेरे मन की राह
वह क्या है?
जिसकी अफ़वाह है / शहर में
और / जिसने फैला दी है
मेरे मरने की ख़बर
वह क्या है?
जिसकी चाह है / मन में
और / जिसने काट दी है
मेरे कंठ की भाषा
वह क्या है?
जिसकी प्रतिध्वनि है / भीतर मेरे
और / जिसने छुपा दी है
मेरी दुनिया की कंदील
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
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हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
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हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
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प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर! युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल, रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल, मनुज-पराजय के स्मारक है मठ, मस्जिद, गिरजाघर! प्राथ...
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इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप से...
सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत ख़ूब, बहुत बढ़िया लिखा है।
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