पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा
सोचा था
इससे पहले ही
सबसे पहले
क्यों न तुम्हीं को देखा
अब तक
दृष्टि खोजती क्या थी
कौन रूप क्या रंग
देखने को उड़ती थी
ज्योति पंख पर
तुम्हीं बताओ
मेरे सुन्दर
अहे चराचर सुन्दरता की सीमा रेखा
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
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हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
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