Tuesday, December 2, 2008

दिल मे उजले काग़ज पर "राही मासूम रजा"

दिल मे उजले काग़ज पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुम को गैर लिखें या अपना मीत लिखें

नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल
मेरे प्यासे होंठों पर हैं अंगारों के फूल
इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें

कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल
लेकर हम निकले हैं अपनी आंखों के कश-कोल
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखें

शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम
जमुना जी की उंगली पकड़े खेल रहा है मधुबन
ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत लिखें

1 comment:

  1. हाँ यही बेस्ट ओप्शन है ' गंगा जल से राधा का नाम ही लिख दीजिए;यूँ राधा और जमुना एक दुसरे के पर्याय बन चुके है वैसे ही जैसे कालिंदी और वट की छांव राधा की चीर-प्रतीक्षा का प्रतीक'
    निःसंदेह इस ब्लोग पर पोस्ट हर रचना आपकी पसंद की ही होगी जो आपके उच्च कोटि के साहित्य प्रेम को दर्शाता है. जितनी पढ़ी अब तक एक भी रचना कमतर नही पाई.
    बुक मार्क कर लिया है मैंने इस ब्लोग को क्योंकि इसमें तो एक खजाना है पूरा पूरा का.

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