दिल मे उजले काग़ज पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुम को गैर लिखें या अपना मीत लिखें
नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल
मेरे प्यासे होंठों पर हैं अंगारों के फूल
इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें
कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल
लेकर हम निकले हैं अपनी आंखों के कश-कोल
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखें
शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम
जमुना जी की उंगली पकड़े खेल रहा है मधुबन
ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत लिखें
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर! युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल, रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल, मनुज-पराजय के स्मारक है मठ, मस्जिद, गिरजाघर! प्राथ...
-
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप से...
हाँ यही बेस्ट ओप्शन है ' गंगा जल से राधा का नाम ही लिख दीजिए;यूँ राधा और जमुना एक दुसरे के पर्याय बन चुके है वैसे ही जैसे कालिंदी और वट की छांव राधा की चीर-प्रतीक्षा का प्रतीक'
ReplyDeleteनिःसंदेह इस ब्लोग पर पोस्ट हर रचना आपकी पसंद की ही होगी जो आपके उच्च कोटि के साहित्य प्रेम को दर्शाता है. जितनी पढ़ी अब तक एक भी रचना कमतर नही पाई.
बुक मार्क कर लिया है मैंने इस ब्लोग को क्योंकि इसमें तो एक खजाना है पूरा पूरा का.