नहीं
दिल नहीं करता अब
यहाँ विदेश में रहने का
मन चाहे यह
मैं अपने भूखे-नंगे
जन-गण के पास जाऊँ
कष्ट में है जो पीड़ा में
है दुश्मन के फेरे में
साम्प्रदायिकता के घेरे में
तकलीफ़देह, घुटन भरे हैं दिन
उन्होंने डुबो दिया मेरे जन-गण को
मन्दिर-मस्ज़िद के अँधेरे में
काल है यह बदतर अन्यायी
उजाले पर
फिरी हुई है स्याही
निराशा भरे इस विकट समय में
साथ उसका निभाऊँ
मैं अपने जन-गण के पास जाऊँ
No more noisy, loud words from me---such is my master's will. Henceforth I deal in whispers.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर! युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल, रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल, मनुज-पराजय के स्मारक है मठ, मस्जिद, गिरजाघर! प्राथ...
-
हम घूम चुके बस्ती-वन में इक आस का फाँस लिए मन में कोई साजन हो, कोई प्यारा हो कोई दीपक हो, कोई तारा हो जब जीवन-रात अंधेरी हो इक बार कहो तुम म...
-
ab saup diya is jeevan ka sab bhar tumhare haatho me sab bhar tumhare haatho me hai jeet tumhare haatho me aur har tumhare haatho me aur haa...
No comments:
Post a Comment